प्रियंका गाँधी जीवनी - Biography of Priyanka Gandhi in Hindi Jivani     

 
प्रियंका गाँधी वाड्रा  एक भारतीय राजनितिज्ञ हैं। वे नेहरू-गाँधी परिवार से है, और फ़िरोज़ गाँधी तथा इंदिरा गाँधी की पोती हैं। प्रियंका वाड्रा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गाँधी की दूसरी संतान है। उनकी दादी इंदिरा गाँधी और परदादा जवाहरलाल नेहरू भी भारतीय प्रधानमंत्री रहे हैं। उनके दादा फ़िरोज़ गाँधी एक जाने-माने संसद सदस्य थे और उनके परदादा, मोतीलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्त्वपूर्ण नेता थे।
प्रियंका ने अपनी स्कूली शिक्षा मॉडर्न स्कूल, कान्वेंट ऑफ़ जीसस एंड मैरी, नई दिल्ली से प्राप्त की और स्नातक की डिग्री कला से जिसमे साइकोलॉजी मुख्य विषय के रूप में था, दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी कॉलेज से प्राप्त की।
उनकी रूचि राजनीति में बिल्कुल नहीं थी पर बाद में वो अपने भाई और माँ को सहयोग की मंशा से, अमेठी और रायबरेली में उनके प्रचार अभियानों और आंदोलनों में शामिल हो गई। गांधी हमेशा कांग्रेस के साथ खड़ी रही और इसकी सफलता में समय-समय पर पूरा योगदान दिया।
उन्होंने अपने कठोर परिश्रम से उत्तर प्रदेश के कई निर्वाचन क्षेत्रो में कांग्रेस की छवि को निखारा। प्रियंका को कुछ साल पहले मीडिया ने तब सवालों के घेरे में ले लिया था जब उन्होंने साफ़ कर दिया था कि राजनीति उनके बस की बात नही है।
वो रोबर्ट वाड्रा की पत्नी हैं और अमेठी और रायबरेली में उनके बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं। रोबर्ट दिल्ली के उद्योगपति हैं और उनके दो बच्चे रेहान और मिराया हैं। सन् २००४ में उन्होंने अपनी माँ के लिए आयोजित अभियानों में प्रबंधक के रूप में काम किया है।
प्रियंका स्वाभाव से बहुत ही सहयोगी हैं और उन्हें उनके विवेक, जल्दी से घुल-मिल जाने की आदत और दृढ विश्वास के लिए जाना जाता है। संक्षेप में वो एक मजबूत इरादों, निडर स्वभाव, बेहतरीन हाजिरजवाब और आत्मविश्वास से भरी महिला हैं|
अपनी मां और भाई के संसदीय क्षेत्रों में वो अक्सर नजर आती हैं। दो बच्चों की मां प्रियंका बचपन से ही बेहद शालीन रही हैं। उनका मानना है कि राजनीति से अलग रह कर भी लोगों के लिए काम किया जा सकता है।
प्रियंका ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री भी ली है। प्रियंका की शादी दिल्ली के एक व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा से हुई है। ये शादी 10 जनपथ गांधी आवास पर 18 फरवरी 1997 के दिन हुई थी। दोनों के रैहान नाम का एक बेटा और मिराय नाम की एक बेटी है। रैहान प्रियंका गांधी के साथ रैलियों में अक्सर दिखते हैं।
13 की उम्र में शुरू हुई प्रेम कहानी
देश के सबसे बड़े राजनीतिक घराने में जन्‍मी प्रियंका कड़ी सुरक्षा में पली-बढ़ी। इस दौरान न तो वह किसी से ज्‍यादा दोस्‍ती कर सकी और न ही ज्‍यादा किसी से घुल-मिल सकी। इस बीच उनकी जिंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आए, जब उसके सबसे करीबी भी एक-एक करके दूर होते चले गए। जब वह 13 साल की थीं तो उन्‍होंने स्‍कूल में पढ़ने वाले राबर्ट वाड्रा को देखा। स्कूल में साथ पढ़े राबर्ट को देखते ही उन्‍हें पहली नजर में उनसे प्‍यार हो गया। रॉबर्ट वाड्रा अक्सर प्रियंका के घर आते-जाते रहते थे। वे राहुल गांधी के भी अच्छे दोस्त बन गए थे। देश के सबसे बड़े राजनैतिक घराने की बेटी को प्रपोज करने के लिए भी रॉबर्ट को काफी हिम्मत दिखानी पड़ी। आखिरकार 18 फरवरी 1997 में दोनों की शादी हो गई।
राजनीति में भूमिका
प्रियंका गाँधी की राजनीति में भूमिका को विरोधाभास के रूप में देखा जाता है। हालाँकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए लगातार चुनाव प्रचार के दौरान इन्होंने राजनीति में कम रुचि लेने की बात कही। 1999 के चुनाव अभियान के दौरान, बीबीसी के लिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा- "मेरे दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट है, राजनीति शक्तिशाली नहीं है, बल्कि जनता अधिक महत्त्वपूर्ण है और मैं उनकी सेवा राजनीति से बाहर रहकर भी कर सकती हूँ।" हालांकि, उन्होंने अपनी माँ (सोनिया गाँधी) और भाई (राहुल गाँधी) के निर्वाचन क्षेत्रों रायबरेली और अमेठी में नियमित रूप से दौरा किया और जहां उन्होंने लोगों से सीधा संवाद ही स्थापित नहीं किया बल्कि इसका आनंद भी लिया। वह निर्वाचन क्षेत्र में एक लोकप्रिय व्यक्तित्व है, अपनी चारो तरफ अपार जनता को आकर्षित करने में सफल भी हैं। अमेठी में प्रत्येक चुनाव के समय एक लोकप्रिय नारा है अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका। इनकी गणना अच्छे, सुलझी और सफल आयोजको में की जाती है और उन्हें अपनी माँ की "मुख्य राजनीतिक सलाहकार" माना जाता है। 2004 के भारतीय आम चुनाव में, वह अपनी माँ की चुनाव अभियान प्रबंधक थी और अपने भाई राहुल गाँधी के चुनाव प्रबंधन में मदद की।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2007
2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव मेंजहाँ राहुल गाँधी ने राज्यव्यापी अभियान का प्रबंधन कियावही वह अमेठी रायबरेली क्षेत्र के दस सीटोंपर ध्यान केंद्रित कर रही थीवहां दो सप्ताह बिता कर उन्होनें पार्टी कार्यकर्ताओं में मध्य सीटों के आवंटन को लेकर हुई अंदरूनी कलह को सुलझाने कीकोशिश की। कुल मिलाकरकांग्रेस पार्टी राज्य में हासिये पर चली गईउसे 402 में से मात्र 22 सीटों पर ही जीत हासिल हुईजो की इन दशकों में न्यूनतमहै। लेकिनइसमें व्यापक रूप से प्रियंका गाँधी के अन्तर संगठनात्मक गुण और वोट खींचने की क्षमता का पता चलता है,
मास्सिमो क्वात्रोची से संबंध के आरोप
जब  फरवरी २००७ को बोफोर्स घोटाले में दागी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोची अर्जेंटीना में गिरफ्तार हुआ था और भारत सरकार की टीम को उसकाप्रत्यर्पण कर भारत लाने में असफल रहने पर इंडियन एक्सप्रेस ने ओत्तावियो के पुत्र मास्सिमो क्वात्रोची पर आरोप लगाया था जो कि राहुल गाँधी और प्रियंकागाँधी के साथ लगभग दो दशको तक (1974-1993, शुरुआत में जब दोनों की प्रवासी माताएं भारत में नई थी), साथ में पले बढ़े थेशायद 17 फरवरी की एकपार्टी में में इन लोगों की मुलाकात हुई हो। परन्तु इस आरोप का कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह द्वारा दृढ़ता से इनकार किया गया थाजिन्होंने एकसाक्षात्कार में कहा: "मैं यह बात दावे से कह रहा हूँ कि सरकार ने क्वात्रोची की जांच में कभी दखल नहीं दिया है और जहाँ तक राहुल गाँधी और प्रियंका गांधीका संबंध हैउनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।"
 


  
 
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