स्क्रैमजेटः इसरो की एक और छलांग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनइसरो ने 28 अगस्त को देश में ही विकसित दो स्क्रैमजेट इंजनों का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण आंध्र प्रदेश में हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़े गए रोहिणी रॉकेट के माध्यम से किया गया जिसको एडवांस्ड टैकनोलॉजी व्हीकल (एटीवी)भी कहा जाता है। स्क्रैमजेट इंजनों की तकनीक का यह सफल प्रदर्शन इस प्रकार के इंजनों के निर्माण एवं विकास हेतु इसरो के प्रयासों में एक साधारण किंतु महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा सकता है। इसके साथ ही भारत स्क्रैमजेट इंजनों को बनाने वालेउनका विकास करने वाले एवं सफल परीक्षण करने वाले देशों के विशिष्ट वर्ग में शामिल हो गया है। जुलाई 2002 में संयुक्त राज्य ने स्क्रैमजेट इंजनों का प्रथम सफल परीक्षण किया। इसके बाद इस फेहरिस्त में रूसयूरोपीय एजेंसीजापान एवं चीन के नाम जुड़े। उल्लेखनीय है कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने यह उपलब्धि अपने पहले प्रयास में अर्जित की। 
         
स्क्रैमजेट इंजनों को ले जाने वाला 3277 किलो का एडवांस्ड टैक्नोलॉजी व्हीकल 300 सैंकड की उड़ान के बाद श्रीहरिकोटा से 320 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में उतरा। इसरो ने बाद में बताया कि जब एटीवी 11 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचा तो स्क्रैमजेट इंजनों ने सीधे वायुमंडल से हवा ग्रहण करना शुरू कर दिया। इसरो की मुख्य चिंता हवा में इंजनों को अग्नि पैदा करना एवं पराध्वनिक गति पर इस लौ को संभाले रखना थी। हालांकि एटीवी पर आसीन दोनों इंजनों की छह सैकेंड की उड़ान के बाद रॉकेट की गति मैक-हो गई जो कि तकरीबन 7200 किलोमीटर प्रति घंटा है।

स्क्रैमजेट इंजन क्या होता है?


एक स्क्रैमजेट इंजन का अर्थ पराध्वनिक दहन रैमजेट इंजन है। स्क्रैमजेट एवं रैमजेट दोनों ही इंजन किसी अक्षीय सम्पीड़क के बगैर ही आकाशयान की अग्रगति के माध्यम से अंदर आने वाली वायु का संपीड़न करते हैं। चूंकि स्क्रैमजेट शून्य वायुगति पर प्रणोदित नहीं होते लिहाजा किसी वायुयान को वो विराम अवस्था से गति नहीं दे सकते। अतः स्क्रैमजेट से चालित वाहन को अपना प्रणोद पैदा करने की स्थिति में आने से पहले किसी रॉकेट के माध्यम से सहायक त्वरण की आवश्यकता होती है।
      
यह पाया गया है कि मैक-एवं मैक-की पराध्वनिक गति के मध्य स्क्रैमजेट इंजन सबसे प्रभावी ढंग से कार्य करते हैं। जबकि दूसरी ओर एक रैमजेट इंजन आवाज़ से कम गति पर भी कार्य कर सकता है। रैमजेट एवं स्क्रैमजेटदोनों ही इंजन वायुमण्डल की ऑक्सीजन का ऑक्सीकारक के तौर पर प्रयोग करते हैं। जहां रैमजेट इंजन की प्रवेशिका का निर्गत प्रवाह आवाज़ की गति से कम होता हैवहीं एक स्क्रैमजेट इंजन में यह आवाज़ की गति से अधिक (पराध्वनिक) होता है। गति के लिये मैक शब्द उन्नीसवीं शताब्दी के प्रतिभावान वैज्ञानिक अर्न्स्ट मैकजिनका ध्वनि की गति के क्षेत्र में जगतप्रसिद्ध कार्य हैके नाम पर आधारित है। मैक-का अर्थ ध्वनि की उस गति से है जो वायु में 1195 किलोमीटर प्रति घंटा हो। मैक की गति से उड़ते रॉकेट का अर्थ है कि यह वायु के विशेष माध्यम में ध्वनि की गति से उड़ रहा है। मैक का अर्थ है ध्वनि की गति से दोगुनी रफ़्तार होना। 

इसरो की भविष्य की योजनाओं हेतु स्क्रैमजेट अहम

इसरो की भविष्य की योजनाओं के दृष्टिकोण से स्क्रैमजेट अत्यधिक महत्वपूर्ण है। फिलहाल यह एजेंसी उपग्रहों को अपनी कक्षा में स्थापित करने के लिये रॉकेट प्रक्षेपण वाहनों जैसे पीएसएलवी का प्रयोग करती हैं। पीएसएलवी एक बार में ही नष्ट होने वाले हैं अतः उनका प्रयोग एक बार ही किया जा सकता है। भविष्य में इसरो स्क्रैमजेट पर लगाए रॉकेटों का प्रयोग करना चाहता है क्योंकि उनके प्रक्षेपण का खर्च परम्परागत रॉकेटों से अत्यंत कम है। स्क्रैमजेट इंजन से युक्त रॉकेट एवं परम्परागत रॉकेट में अंतर यह होता है कि स्क्रैमजेट इंजन ईंधन के तौर पर केवल द्रव हाइड्रोजन का प्रयोग करता है एवं प्रणोद पैदा करने के लिये वायुमण्डल की ऑक्सीजन का दहन हेतु इस्तेमाल करता हैजबकि परम्परागत इंजन में बतौर ईंधन द्रव हाइड्रोजन एवं द्रव ऑक्सीजन होती है। चूंकि स्क्रैमजेट इंजन से युक्त रॉकेट को ऑक्सीकारी के तौर पर ऑक्सीजन नहीं ले जानी होती लिहाजा यह हल्का होता है एवं ऑक्सीजन के वज़न के बराबर अतिरिक्त भार ले जा सकता है।   
     
अतएव भविष्य में स्क्रैमजेट इंजन से सुसज्जित इसरो के रॉकेट अधिक भारी उपग्रहों को ले जा पाएंगे। वर्तमान में इसरो के परम्परागत रॉकेट सेकिलोग्राम वज़न उठाने का खर्च 12,000 से 15000 अमेरिकी डॉलर आता है। इसलिए जब यह खर्च उल्लेखनीय रूप से कम होगा तो इसरोजो कि पहले ही दूसरे देशों के उपग्रहों को प्रतिस्पर्धी मूल्य में प्रक्षेपित कर रहा हैको न सिर्फ विदेशी सरकारों बल्कि विशेष सेवाएं चाहने वाली विभिन्न संस्थाओं से भी उपग्रहों के प्रक्षेपण के कार्य मिलने लगेंगे।

इसरो अब अवतार नाम के एक प्रक्षेपण वाहन पर कार्य कर रहा है जिससे यह अंतरिक्ष एजेंसी दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकने वाले आकाशयानों का प्रक्षेपण करेगी। दोबारा उपयोग किये जा सकने वाले प्रक्षेपण वाहन प्लेटफॉर्म उपग्रहों का प्रक्षेपण करने में सक्षम होंगे- यह उर्ध्वाधर उड़ान भरते हैं एवं रनवे पर उतरते हैं। अवतार से प्रक्षेपित रॉकेट प्रणोद एवं उड़ान के लिये रैमजेट एवं स्क्रैमजेट इंजनों काएवं उतरने के लिये क्रायोजैनिक इंजनों का उपयोग करेंगे। इनमें से हर एक इंजन का उड़ान के विभिन्न स्तरों पर उपयोग होगा- कम गति में रैमजेट का,हाइपरसोनिक गति के लिये स्क्रैमजेट का एवं जब यान वायुमण्डल की सीमा पर पहुंच जाए तो क्रायोजैनिक इंजन का। संयोगवश यह दोनों ही इंजन टर्बोजेट से भिन्न हैं। टर्बोजेट इंजनों में गतिमान पुर्जे होते हैंजबकि रैमजेट और स्क्रैमजेट में कोई भी गतिमान पुर्जे नहीं होते।
  * लेखक- दिलीप घोष
साभार-  http://pib.nic.in/