नाम :– आदित्य विक्रम बिड़ला।
जन्म :– 14 नवंबर 1943, कोलकाता, पश्चिम बंगाल।
पिता : बसंत कुमार बिड़ला।
माता : सरला बिड़ला।
पत्नी/पति :– ।
आदित्य बिड़ला समूह भारत के साथ थाईलैंड, दुबई, सिंगापुर,, म्यांमार, लाओस, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मिस्र, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, हंगरी, ब्राजील, इटली, फ्रांस, लक्समबर्ग, स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम और कोरिया समेत 25 देशों में कार्यरत मुंबई में स्थित मुख्यालय वाला एक बहुराष्ट्रीय सांगठनिक निगम है।
आदित्य बिड़ला समूह यूएस 30 बिलियन यूएस$ का संगठन है जो अपने राजस्व का 60% भारत के बाहर से प्राप्त करता है। समूह स्वयं द्वारा संचालित सभी औधोगिक क्षेत्रों में प्रमुख खिलाड़ी है। बिरला समूह हेवेट-इकॉनामिक टाइम्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल स्टडी 2007 के द्वारा एशिया में शीर्ष 20 के बीच भारत के श्रेष्ठ नियोक्ता के रूप में घोषित किया गया है। समूह की उत्पत्ति भारत के अग्रणी उद्योगपति घनश्याम दास बिरला के द्वारा पहली बार स्थापित संगठन में निहित है।
आदित्य बिड़ला विभिन्न सहायक कंपनियों द्वारा संगठित है जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है। इनमें विस्कोस स्टेपल फाइबर, गैर-लौह धातुएं, सीमेंट, विस्कोस फिल्मेंट यार्न ब्रांडेड परिधान, कार्बन ब्लैक, रसायन, रिटेल (सुपरमार्केट के 'मोर' ('More') ब्रांड के तहत), उर्वरक, रसायन, इंसुलेटर, वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार,, बीपीओ और आईटी सेवाएं हैं। समूह चार मुख्य कंपनियों से संयोजित है, जो सहायक कंपनियों, ज्वाइंट वेंचर्स आदि के द्वारा विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं। ये हैं हिंडाल्को, ग्रासिम, आदित्य बिरला नूवो और अल्ट्राटेक सीमेंट.
प्रारम्भिक जीवन :
आदित्य बिरला ने अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद, कोलकाता में स्थित सेंट जेवियर्स कॉलेज में विज्ञान में स्नातक किया और फिर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन से कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। 1965 में भारत वापस लौटने पर, आदित्य ने व्यापार और उद्यम की दुनिया में अपना कदम रखा, जिसमें उनके अधिकांश उद्यम सफल विस्तार या मुनाफे वाले लेन देन (टर्नओवर) के लिए अग्रणी थे। उन्होंने अपने पहले उद्यम के रूप में कोलकता में ‘ईस्टर्न स्पिनिंग मिल्स’ की स्थापना की।
विलुप्ति की कगार पर खड़े रेयॉन और कपड़ा व्यवसाय को फिर से रास्ते पर ले आए साथ में अच्छा मुनाफा ग्रहण किया। उनके अगले कुछ उद्यमों ने हिंदुस्तान गैस के विस्तार में अपनी सफलता और सिक इंडो गुल्फ फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड, के शानदार रूपांतरण के साथ-साथ तरलता और प्रबंधकीय संकट के साथ तेजी से ब्लू-चिप कंपनी में अपनी सफलता हासिल की। फिर वह पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक और व्यावसायिक सफलता की एक श्रृंखला बनाते चले गए, हालाँकि, 1983 में उनके दादाजी का निधन हो जाने के बाद, उन्हें एक बड़ी भूमिका निभानी पड़ी थी।
कैरियर :
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कैमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद आदित्य भारत लौटे और अपने खानदानी व्यवसाय में शामिल हो गए| सिर्फ इतने से ही संतुष्ट नहीं होने वाले आदित्य ने ‘ईस्टर्न एक्सप्रेस मिल्स’ से कपड़े का व्यापार शुरू किया जो कोलकाता में बहुत सफल रहा| इस सफल प्रयोग से उन्होंने परिवार के डूबते हुए कपड़े के व्यापार में नयी जान डालकर पुनः जीवित कर दिया| यह तो महज शुरुआत थी; इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक, हर व्यवसाय में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किया|
उनकी अगली सबसे बड़ी चुनती थी ‘आयल सेक्टर’ में बिड़ला ग्रुप का विस्तार और हर बार की भांति इस बार भी आदित्य सफल रहे| यह समय बिड़ला समूह और आदित्य के लिए चुनौती भरा था क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था समाजवादी विचारों से प्रेरित थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी लोकलुभावन नीतियों जैसे बैंकों का राष्ट्रीयकरण और प्राइवेट निवेश पर नियंत्रण के जरिये अपनी पकड़ मजबूत कर रही थीं| पश्चिम की ओर बढ़ने के बजाय, आदित्य ने पूर्व पर ध्यान केंद्रित किया और उनके ग्रुप की पहली विदेशी कंपनी – ‘इंडो-थाई सिंथेटिक्स कंपनी लिमिटेड’ की स्थापना वर्ष 1969 में थाईलैंड में हुई।
जन्म :– 14 नवंबर 1943, कोलकाता, पश्चिम बंगाल।
पिता : बसंत कुमार बिड़ला।
माता : सरला बिड़ला।
पत्नी/पति :– ।
आदित्य बिड़ला समूह भारत के साथ थाईलैंड, दुबई, सिंगापुर,, म्यांमार, लाओस, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मिस्र, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, हंगरी, ब्राजील, इटली, फ्रांस, लक्समबर्ग, स्विट्जरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम और कोरिया समेत 25 देशों में कार्यरत मुंबई में स्थित मुख्यालय वाला एक बहुराष्ट्रीय सांगठनिक निगम है।
आदित्य बिड़ला समूह यूएस 30 बिलियन यूएस$ का संगठन है जो अपने राजस्व का 60% भारत के बाहर से प्राप्त करता है। समूह स्वयं द्वारा संचालित सभी औधोगिक क्षेत्रों में प्रमुख खिलाड़ी है। बिरला समूह हेवेट-इकॉनामिक टाइम्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल स्टडी 2007 के द्वारा एशिया में शीर्ष 20 के बीच भारत के श्रेष्ठ नियोक्ता के रूप में घोषित किया गया है। समूह की उत्पत्ति भारत के अग्रणी उद्योगपति घनश्याम दास बिरला के द्वारा पहली बार स्थापित संगठन में निहित है।
आदित्य बिड़ला विभिन्न सहायक कंपनियों द्वारा संगठित है जो विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है। इनमें विस्कोस स्टेपल फाइबर, गैर-लौह धातुएं, सीमेंट, विस्कोस फिल्मेंट यार्न ब्रांडेड परिधान, कार्बन ब्लैक, रसायन, रिटेल (सुपरमार्केट के 'मोर' ('More') ब्रांड के तहत), उर्वरक, रसायन, इंसुलेटर, वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार,, बीपीओ और आईटी सेवाएं हैं। समूह चार मुख्य कंपनियों से संयोजित है, जो सहायक कंपनियों, ज्वाइंट वेंचर्स आदि के द्वारा विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं। ये हैं हिंडाल्को, ग्रासिम, आदित्य बिरला नूवो और अल्ट्राटेक सीमेंट.
प्रारम्भिक जीवन :
आदित्य बिरला ने अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद, कोलकाता में स्थित सेंट जेवियर्स कॉलेज में विज्ञान में स्नातक किया और फिर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन से कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। 1965 में भारत वापस लौटने पर, आदित्य ने व्यापार और उद्यम की दुनिया में अपना कदम रखा, जिसमें उनके अधिकांश उद्यम सफल विस्तार या मुनाफे वाले लेन देन (टर्नओवर) के लिए अग्रणी थे। उन्होंने अपने पहले उद्यम के रूप में कोलकता में ‘ईस्टर्न स्पिनिंग मिल्स’ की स्थापना की।
विलुप्ति की कगार पर खड़े रेयॉन और कपड़ा व्यवसाय को फिर से रास्ते पर ले आए साथ में अच्छा मुनाफा ग्रहण किया। उनके अगले कुछ उद्यमों ने हिंदुस्तान गैस के विस्तार में अपनी सफलता और सिक इंडो गुल्फ फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड, के शानदार रूपांतरण के साथ-साथ तरलता और प्रबंधकीय संकट के साथ तेजी से ब्लू-चिप कंपनी में अपनी सफलता हासिल की। फिर वह पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिक और व्यावसायिक सफलता की एक श्रृंखला बनाते चले गए, हालाँकि, 1983 में उनके दादाजी का निधन हो जाने के बाद, उन्हें एक बड़ी भूमिका निभानी पड़ी थी।
कैरियर :
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कैमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद आदित्य भारत लौटे और अपने खानदानी व्यवसाय में शामिल हो गए| सिर्फ इतने से ही संतुष्ट नहीं होने वाले आदित्य ने ‘ईस्टर्न एक्सप्रेस मिल्स’ से कपड़े का व्यापार शुरू किया जो कोलकाता में बहुत सफल रहा| इस सफल प्रयोग से उन्होंने परिवार के डूबते हुए कपड़े के व्यापार में नयी जान डालकर पुनः जीवित कर दिया| यह तो महज शुरुआत थी; इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक, हर व्यवसाय में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किया|
उनकी अगली सबसे बड़ी चुनती थी ‘आयल सेक्टर’ में बिड़ला ग्रुप का विस्तार और हर बार की भांति इस बार भी आदित्य सफल रहे| यह समय बिड़ला समूह और आदित्य के लिए चुनौती भरा था क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था समाजवादी विचारों से प्रेरित थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी लोकलुभावन नीतियों जैसे बैंकों का राष्ट्रीयकरण और प्राइवेट निवेश पर नियंत्रण के जरिये अपनी पकड़ मजबूत कर रही थीं| पश्चिम की ओर बढ़ने के बजाय, आदित्य ने पूर्व पर ध्यान केंद्रित किया और उनके ग्रुप की पहली विदेशी कंपनी – ‘इंडो-थाई सिंथेटिक्स कंपनी लिमिटेड’ की स्थापना वर्ष 1969 में थाईलैंड में हुई।
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