विगत दिनों भारत में विज्ञान की उपलब्धियाँ

इसरो ने एक साथ 31 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया-  

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी43) ने 29 नवंबर 2018 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 31 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया, जिनमें एक भारत का हाईपर-स्‍पैक्‍ट्रल इमेजिंग उपग्रह (HYSIS) और 30 विदेशी उपग्रह हैं। पीएसएलवी-सी43प्रक्षेपण यान ने भारत के हाईपर-स्‍पैक्‍ट्रल इमेजिंग उपग्रह (HYSIS) को 645 किलोमीटर के सन-सिंक्रोनस ध्रुवीय कक्ष में तथा 30 अन्य विदेशी उपग्रहों को उनके मनोनुकूल कक्ष में स्‍थापित किया। 

क्या होता है हाइसिस  उपग्रह -

हाईपर-स्‍पैक्‍ट्रल इमेजिंग उपग्रह HYSIS एक पृथ्‍वी पर्यवेक्षण उपग्रह है। इसे इसरो के मिनी उपग्रह-2 के तर्ज पर बनाया गया है। इसका वजन लगभग 380 किलोग्राम है। उपग्रह का मिशन लाइफ पांच वर्ष है।
विद्युत चुम्‍बकीय स्‍पैक्‍ट्रम के इन्‍फ्रारेड और शॉर्टवेव इन्‍फ्रारेड क्षेत्रों के निकट दोनों दृश्‍यमान क्षेत्रों में पृथ्‍वी की सतह का अध्‍ययन करना HYSIS का प्राथमिक लक्ष्‍य है। उपग्रह से प्राप्‍त आंकड़े का इस्‍तेमाल कृषि, वन, मृदा/भूगर्भीय पर्यावरण, समुद्रतटीय क्षेत्रों और अन्‍तर्देशीय जल संसाधनों आदि सहित अनेक क्षेत्र में किया जाएगा। 
HYSIS समूह में एक वृहद और 8 देशों के 29 लघु उपग्रह शामिल थे। इन देशों में ऑस्ट्रेलिया (1), कनाडा (1), कोलंबिया (1), फिनलैंड (1), मलेशिया (1), नीदरलैंड्स (1), स्पेन (1) और अमरीका (23) शामिल हैं। इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 261.50 किलोग्राम था। पीएसएलवी की मदद से ऑस्‍ट्रेलिया, कोलंबिया, मलेशिया और स्‍पेन के उपग्रहों को पहली बार प्रक्षेपित किया गया। एंट्रिक्‍स कॉरपोरेशन लिमिटेड और ग्राहकों के बीच वाणिज्यिक समझौते के हिस्‍से के रूप में इन विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया। 

GSLV MK III-D2 से जीसेट -29 संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण-


जियो सिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्कIII (जीएसएलवी एमके III-डी2) से 14 नवंबर 2018 को सतीश भवन अंतरिक्ष केन्द्र श्रीहरिकोटा से 3423 किलोग्राम वाले जीसेट -29 (GSAT-29) संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया तथा उपग्रह को जियोसिंक्रोनस स्थापन कक्ष में स्थापित कर दिया। बाद में, उपग्रह को भूस्थैतिक कक्ष में इसके निर्धारित स्थान पर तीन कक्षों में स्थापित किया गया ।   
इसके सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा, 'अपनी धरती से अपने सबसे भारी प्रक्षेपक की मदद से सबसे भारी उपग्रह को प्रक्षेपित करके भारत ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तय किया है।'

भारत के सबसे वजनी संचार उपग्रह जीसैट-11 का फ्रेंच गुयाना से सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो के सबसे वजनी और अत्‍याधुनिक संचार उपग्रह जी सैट -11 का 5 दिसम्बर 2018 को तड़के फ्रेंच गुयाना के अंतरिक्ष केन्‍द्र से सफल प्रक्षेपण किया गया।
प्रक्षेपण यान एरियन 5 वीए -246 ने सबसे ज्‍यादा भार वाले जीसैट -11 और दक्षिणी कोरिया के उपग्रह जीओ कॉम्पसैट-2ए को लेकर फ्रेंच गुयाना के कोरू प्रक्षेपण केन्‍द्र से उड़ान भरी। एरियन -5, सोयूज और वेगा सहित उन तीन प्रक्षेपण यानों में से एक है जिसे यूरोप की एरियनस्‍पेस कंपनी संचालित करती है।
5854 किलोग्राम भार वाला जी सैट-11 उपग्रह 32 यूजर बीम के माध्‍यम से केयू बैंड और 8 हब बीम के माध्‍यम से केए बैंड में भारत के सामान्‍य और द्वीपीय क्षेत्रों में तीव्रगति की इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध कराएगा। 
जीसैट-11’ देश के ग्रामीण और दूरदराज के ग्राम पंचायत क्षेत्रों में भारत नेट परियोजना के तहत आने वाली ब्रॉडबैण्‍ड सम्‍पर्क सेवा को गति देगा, जो कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक हिस्‍सा है। भारत नेट परियोजना का उद्देश्‍य ई-बैंकिंगई-हेल्‍थ और ई-गवर्नेंस जैसी जन कल्‍याणकारी योजनाओं को सशक्‍त बनाना है।
आने वाले दिनों में इसरो के वैज्ञानिक जीसैट-11 उपग्रह को भूमध्‍य रेखा से 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्‍थैतिक कक्षा में स्‍थापित करने का काम चरणबद्ध तरीके से करेंगे। इसके लिए उपग्रह की प्रणोदक प्रणाली का इस्‍तेमाल किया जाएगा। उपग्रह को 74 डिग्री पूर्वी देशान्‍तर पर भूस्‍थैतिक कक्षा में स्‍थापित किया जाना है। इसके साथ ही उपग्रह के दो सौर पैनलों और चार एंटीनाओं के रिफलेक्‍टरों को खोल दिया जाएगा। कक्षा में स्‍थापित किये जाने के सभी परीक्षण पूरे होने के साथ ही उपग्रह पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगा।

लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि मिसाइल-5 का सफल परीक्षण-


सतह से सतह पर लंबी दूरी तक मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का 10-दिसंबर, 2018 को सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल को ओडिशा तट के समीप डॉ. अब्‍दुल कलाम द्वीप से मोबाइल लांचर के जरिए प्रक्षेपित किया गया। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों की उपस्थिति में प्रक्षेपण की पूरी प्रक्रिया का संचालन और निगरानी सामरिक बल कमान ने की।
मिशन के सभी उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरे किए गए। आज का यह परीक्षण पूर्व में किए गए कई सफल परीक्षणों के बाद हुआ है। इससे देश की प्रतिरक्षा क्षमता को और मजबूती मिली है। अग्नि-5, वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से निर्मित स्वदेशी मिसाइल है। 

पीएसएलवी ने सफलतापूर्वक एक साथ 31 उपग्रह लांच किए 



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ध्रुवीय सेटेलाइट लांच व्हीकल ने सफलतापूर्वक 710 किलोग्राम का कार्टोसैट-2 श्रृंखला का दूर-संवेदी उपग्रह तथा30 अन्य उपग्रहों के साथ श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 12-जनवरी, 2018 को सफलतापूर्वक लांच किया। इसे पीएसएलवी-सी 40 नाम दिया गया है।  यह अपने पैंक्रोमेटिक (श्याम और श्वेत) तथा मल्टीस्पेक्ट्रल (रंगीन) कैमरों का इस्तेमाल करते हुए दूरसंवेदी डाटा प्रदान करेगा ।
कार्टोसेट-2 के दो भारतीय सहयात्री उपग्रहों 11 किलोग्राम के आईएनएस-आईसी तथा 100 किलोग्राम का माइक्रोसैट की निगरानी और नियंत्रण बंगलुरू के आईएसटीआरएसी से किया जा रहा है। भारत के अलावा इनमें 28 अंतर्राष्ट्रीय उपग्रह हैं, जो कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, कोरिया गणराज्य, ब्रिटेन तथा अमेरिका के हैं। पीएसएलवी ने अब तक विदेश से सफलतापूर्वक 11 भारतीय उपग्रह तथा 237 कस्टमर उपग्रह लांच किया है।    


भाभा कवच

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, ट्राम्बे ने जवानों के लिए भाभा कवच नामक एक ऐसी जैकेट विकसित की है जो स्टील की गोली से उनकी रक्षा करेगा।  इस जैकेट को चीन में निर्मित स्टील की गोली भी भेद नहीं पाएगी जो सामान्य जैकेट को आसानी से भेद देती है।  यह जैकेट एसएलआर और एके-47 राइफ़लों से निकलने वाली हर गोली को विफल करने में सक्षम है।  इस जैकेट का वजन 6.6 किलो है जबकि सामान्य बुलेट प्रूफ़ जैकेट का वजन 10 किलो या उससे अधिक होता है। 

स्वदेशी हल्के परिवहन विमान 'सरस' की दूसरी परीक्षण उड़ान-

भारत के स्वदेशी हल्के परिवहन विमान सरस ने 21 फरवरी 2018 को  दूसरी परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की।  पहली सफल उड़ान का परीक्षण इस वर्ष 24 जनवरी को किया गया था। विमान का डिजाइन और विकास सीएसआईआर-नेशनल एयरो स्पेस लैबोलेट्रीज (एनएएल) द्वारा किया गया है। एनएएल के अनुसार उत्पादन मॉडल डिजाइन के इस वर्ष जून-जुलाई तक तैयार होने की उम्मीद है।

स्ट्रोक के उपचार में क्रांति लाएगा, पीईजीवाईलेटेड स्ट्रप्टोकिनसे-

सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ गिरीश साहनी एवं माइक्रोबायल टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर - आईएमटेक) में अन्वेषणकर्ताओं की टीम द्वारा विकसित एक नए क्लॉट बुस्टर, पीईजीवाईलेटेड स्ट्रप्टोकिनसे- एक अनूठी जैविक इकाई से इस्केमिक स्ट्रोक के उपचार में क्रांति आना तय है। इस्केमिक स्ट्रोक एक ऐसी अवस्था होती है जो मस्तिष्क धमनियों में होने वाले इम्बोली, थ्रोबस या एथरोस्कलेरोसिस के कारण उत्पन्न होती है। भारत में स्ट्रोक की घटना पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक होती है और सभी स्ट्रोकों में इस्केमिक स्ट्रोक का प्रतिशत लगभग 87 प्रतिशत है। सीएसआईआर - आईएमटेक एवं मुंबई की एपाइजेन बायोटेक प्रा. लि. ने इस्केमिक स्ट्रोक के उपचार के लिए पीईजीवाईलेटेड स्ट्रप्टोकिनसे का विकास करनेे के लिए समझौता किया है।

स्वास, सफल एवं स्टार कम प्रदूषण वाले पटाखे -

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों को विकसित किया है जो न सिर्फ पर्यावरण-हितैषी हैं किंतु परम्परागत पटाखों की तुलना में 15-20% सस्ते भी हैं।” इन पटाखों का नाम सेफ वॉटर रिलीज़र (स्वास)सेफ मिनिमल एल्युमिनियम (सफल) एवं सेफ थर्माइट क्रैकर (स्टार) रखा गया है।